पत्नी के माध्यम से भगवत प्राप्ति

पत्नी के माध्यम से भी भगवत प्राप्ति होती है और ऐसे संबंध भी भगवान की पूजा है।

पत्नी को भगवती का रूप मानें । केवल उसके सुख पर ध्यान दें। ऐसा समझें कि इस क्रिया के द्वारा भी मैं सर्वशक्तिमान भगवान जो मेरे समक्ष स्त्री के रूप में है, उनकी पूजा कर रहा हूं। मेरी सेवा से खुश होकर सर्वोच्च शक्ति मुझ पर कृपा करे। कोका महाराज की कोई अच्छी किताब लेकर पढ़े और जाने की औरत के किस अंग में किस दिन कामदेव का वास है। ऐसी जानकारी हासिल करने के पश्चात वांछित अंगों से पत्नी की भगवती रूप में भावना करते हुए पूजा का भाव रखते हुए उसे जितना भी सुख दे सके सुख देने की कोशिश करें। अपने आनंद की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दें क्योंकि इस वक्त आप भक्त हैं और वे भगवती। और ऐसा भी मान लें कि जो सुख आप उसे दे रहे हैं उससे सर्वशक्ति खुश हो रही है। क्रिया जितने लंबे समय तक चला सके चलाएं। और एक से दूसरी क्रिया के बीच में लंबा फर्क रखें ,फर्क से मतलब है समय जितना हो सके उतना ।जितना कम बार हो सके उतना ही कम यौन संबंध किया करें । शक्ति का समय करें;परंतु ,जब करें जब बहुत लंबा समय इसमें दे।


जब मुझे ऐसा किसी ने बताया था तो मैंने इस बात को मजाक समझा था,यानी कि संजीदगी से नहीं लिया था ;परंतु ऐसा किया। और पाया कि वास्तव में यह भगवान की पूजा है और भगवत प्राप्ति का रास्ता है। मुझे कैसे पता चला कि भगवान इसको भक्ति मानते हैं यह बहुत बड़ा विषय है और यहां बताया नहीं जा सकता।

इसको अवश्य आजमाएं। तरह-तरह के उत्तेजक पदार्थ ना ले। इनके सेवन से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। हो सके तो क्रिया के दौरान नाम जप भी करते रहे। जो भगवान का नाम आपको उचित लगे वही जपे लेकिन यदि भगवती का नाम है तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इस वक्त आप सर्वशक्तिमान की स्त्री रूप में भगवती रूप में परम ब्रह्मरूप में उपासना कर रहे हैं। आपको भगवत प्राप्ति शीघ्र हो ।आवागमन के चक्र से आप इसी जन्म में छूट जाएं। 

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