IAF AN-32 : दुर्घटना या कुछ और ! रहस्य से पर्दा कब तक उठेगा ?

- वात्स्यायन शर्मा


दिनांक - 07.06.2019   समयः 09:48:47    अंक- 132

 

दशा  - शनि  की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा  - 07.07. 2020 तक।

शनि गोचर में वक्री है। चतुर्थेश व पंचमेश है और धनु में स्थित है। शनि बुध के उपभाग में जो कि मिथुन मेंआठवें भाव में है। मिथुन वायु को इंगित करती है। शनि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में है। शुक्र 1-8 भावराशि का स्वामी वृषभ में 03:40:40 चल चुका है और 7वें और 8वें भाव का कारक है।

चन्द्रमा 9वें व 10वें भाव का कारक है। चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र पर पारगमन कर रहा है। चन्द्रमा के नक्षत्र रोहिणी में सूर्य पारगमन कर रहा है। सूर्य बाधकस्थानाधिपति है और 8वें भाव में है।

महादशा-अन्तर्दशा की यह स्थिति वायुयान के दुघर्टनाग्रस्त होने को इंगित करती है।

के पी ज्योतिष की एक वैज्ञानिक पद्धति है। जिसमें प्रश्नकुंडली के माध्यम ये विषम से विषम स्थितियों का आकलन किया जा सकता है। कई बार आकलन गलत भी होता है पर उसके लिए सूक्ष्म गणनाओं में कुछ त्रुटि रहजाना मुख्य कारण होता है।

के
  पी के अनुसार 4-8-12 भाव दुर्घटना को बताते हैं।

इस प्रश्नचार्ट में 8वें भाव का उपस्वामी शुक्र है। इसका संबंध 7वें और 8वें भाव दोनों से है। शुक्र सूर्य के नक्षत्र में पारगमन कर रहा है। सूर्य बाधकस्थानाधिपति होकर 8वें भाव में है। 8वें भाव की यह स्थिति दुर्घटना को इंगित करती है।

चतुर्थ भाव का उपस्वामी राहु है। राहु बुध का स्थानापन्न है। बुध 12वें व 8वें भाव का कारक बना हुआ है। इस भाव पर मंगल की दृष्टि है। यहाँ राहु गुरु के नक्षत्र में पारगमन कर रहा है। गुरु 2-3-6 का कारक बना हुआ है।  के पी के अनुसार 4थे भाव का संबंध 8वें से बन रहा है अतः यह भाव भी दुर्घटना को ही इंगित करता है।

12वें भाव का उपस्वामी चन्द्र है। चन्द्रमा 9वें व 10वें भाव का कारक है। चन्द्रमा शनि के नक्षत्र पर पारगमन कर रहा है। चन्द्रमा के नक्षत्र रोहिणी में सूर्य पारगमन कर रहा है। सूर्य बाधकस्थानाधिपति है और 8वें भाव में है। इस भाव पर मंगल की दृष्टि है। चन्द्र राहु-मंगल के साथ 9वें भाव में स्थित है। 12वें भाव की यह स्थिति दुर्घटना को ही इंगित करती है।

अतः ग्रहों की स्थिति के आधार पर यही कहा जाएगा कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है और इसमें किसी के भी बचने की संभावना नहीं है।

दुर्घटना का कारण
8वें भाव से मुत्यु की स्थिति/अवस्था की जानकारी होती है। इस भाव का उपस्वामी शुक्र है जो कि सूर्य के नक्षत्र में स्थित है। शरीर में शुक्र किडनी का व सूर्य हृदय का कारक होता है। सूर्य बाधकस्थानाधिपति है, 8वें भाव में है अतः दुर्घटना का कारण हृदय-वेदना इंगित होती है। परयहाँ विमान के साथ क्या हुआ होगा ? चतुर्थ भाव पर मंगल की दृष्टि है। मंगल अग्नि और विस्फोट का कारक होता है। चतुर्थ भाव का आरम्भ मकर राशि में 12°24पर है। विमान के मध्य भाग के प्रारम्भिक हिस्से में  स्थित किसी मशीन में खराबी आने के कारण अग्नि या विस्फोट  होना दुर्घटना का कारण बनता है   

कब तक जानकारी होगी ?
इसे हल किए जाने तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है। गणना के अनुसार इसके लिए तीन बिंदु आते हैं -  8 जून को रात्रि 10:30 के बाद , 11 जून को और 13जून को रात्रि में 9 बजे से 00:15 बजे के बीच  इनमें सबसे प्रमुख दिन 11 व 13 जून है |

विशेषः-
प्रथम भाव का उपस्वामी शनि है जो कि 7-8 के कारक शुक्र के उपभाग में है। शुक्र सूर्य के नक्षत्र में है जो कि बाधकेश है। शनि स्वयं बुध के उपभाग में है। बुध 8-12 का कारक है। अतः इस दुर्घटना में कोई जिंदा रहे इसकी संभावना नहीं है।
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