Why the sequence of days is Sunday, Monday, Tuesday.....

वारों के क्रम का रहस्य क्या है?
                                                                 
लेखक  :
वात्स्यायन शर्मा
मेयो कॉलेज, अजमेर
www.hindiCBSE.com 

क्या आप जानते हैं कि वारों के नाम यानि सोमवार, मंगलवार, बुधवार , गुरुवार आदि रखे जाने का क्या कारण है और इनका क्रम रविवार फिर सोमवार, सोमवार के बाद मंगलवार फिर बुधवार, बुधवार के बाद बृहस्पतिवार फिर शुक्रवार और इसके बाद शनिवार का क्यों रखा गया है।
पृथ्वी से ग्रहों का क्रम :-
यदि हम पृथ्वी से ग्रहों के क्रम को देखें तो पाएँगे कि सबसे दूर शनि ग्रह फिर गुरु फिर मंगल फिर रवि फिर शुक्र फिर बुध फिर चंद्र है। यह भी कह सकते हैं पृथ्वी के सबसे नजदीक चंद्रमा है फिर बुध फिर शुक्र सूर्य रवि फिर मंगल फिर गुरु फिर शनि है । चंद्रमा बुध शुक्र ये सब आंतरिक ग्रह हैं क्योंकि ये सूर्य और धरती के बीच में धरती की परिक्रमा करते हैं और मंगल बुध शनि ये बाहरी ग्रह हैं क्योंकि  इनका परिक्रमा-पथ सूर्य और धरती के बीच में न होकर इससे बाहर है।
  
ज्योतिष की दृष्टि से सात ग्रह प्रमुख माने गए और दिन के नाम भी इन्हीं ग्रहों के आधार पर रखे गए।
वारों के क्रम का रहस्य :-
पृथ्वी का एक दिन 24 घंटे का माना गया। प्रत्येक घंटे पर ग्रह का प्रभाव होता है। यानी एक दिन में प्रत्येक घंटे पर, पृथ्वी से दूरी के क्रम के अनुसार ग्रह का प्रभाव होता है। सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण सारे ग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं और वह सौरमंडल का सबसे शक्तिशाली ग्रह भी है। इसलिए प्रथम दिन रविवार को माना गया और सूर्योदय के पश्चात पहला घंटा सूर्य को दिया गया। ऊपर बताए गए क्रम में धरती की तरफ चलने पर सूर्य के बाद शुक्र  का भ्रमण पथ आता है इसलिए दूसरा घंटा शुक्र को दिया गया। ऊपर बताए गए क्रम में धरती की तरफ चलने पर शुक्र के बाद बुध का भ्रमण-पथ फिर चंद्र का भ्रमण-पथ आता है इसलिए तीसरा घंटा बुध को और चौथा घंटा चंद्र को दिया गया। फिर इसी क्रम में शनि गुरु मंगल का क्रमशः पाँचवा, छटा और सातवाँ घंटा उनके प्रभाव का दिया गया। फिर से यही क्रम अपनाया गया। इस प्रकार दिन के 24 घंटे में हर 1 घंटे पर ऊपर दिए गए क्रम के अनुसार ग्रह के प्रभाव की गणना करने पर पाते हैं कि दिन में तीन बार यानि 21 घंटों में सातों ग्रहों का चक्कर लग जाता है और 24 घंटे में से बचे हुए 3 घंटों को एक-एक घंटे की क्रमानुसार गणना से आगे के 3 ग्रह और भोग लेते हैं। इस प्रकार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के समय में 24 घंटे पूरे हो जाते हैं और जब दूसरे दिन का सूर्योदय होता है तब सूर्योदय से पहला घंटा ऊपर बताए गए तीसरे ग्रह के कालखंड के बाद चौथे ग्रह के प्रभाव में होता है। सूर्योदय के बाद आरम्भ होनेवाले इस पहले घंटे पर जिस ग्रह का प्रभाव होता है सी ग्रह पर उस दिन का नाम रखा गया है। उदाहरण के लिए रविवार के दिन सूर्योदय के बाद पहला घंटा रवि का फिर ऊपर बताए गए क्रम में शुक्र, बुध, चंद्र, शनि, गुरू, मंगल का  इस प्रकार पहले 7 घंटे हुए फिर वापस से इसी क्रम को रखते हुए रवि से मंगल तक दूसरे 7 घंटे हुए, इसी क्रम में तीसरे 7 घंटे होकर कुल 21 घंटे बीते फिर 22 वाँ घंटा रवि का, 23वाँ शुक्र का और 24वाँ बुध से समाप्त हुआ और फिर नए दिन का पहला घंटा चंद्र का आया इसलिए रविवार (SUNDAY) के बाद सोमवार (MONDAY) आता है। जब हम सोमवार के 24 घंटो  की ऊपर बताए अनुसार पहला घंटा चंद्र को देकर अन्य  ग्रहों के प्रभाव की गणना करेंगे तो सोमवार के 24वें घंटे  पर गुरु का प्रभाव आएगा और अगले दिन सूर्योदय के समय मंगल का प्रभाव होगा इसलिए सोमवार के बाद मंगलवार (TUESDAY) आता है।


पृथ्वी के साथ ग्रहों का भ्रमणपथ


इस प्रकार भारतीय ज्योतिष (Astrology) की गणित के अनुसार प्रत्येक दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है और सूर्योदय के समय जिस ग्रह का प्रभाव होता है उसी ग्रह के भारतीय नाम से वह दिन भी जाना जाता है ।  

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